Saturday, May 30, 2009

जब बीवी ने की कमाई
और मिया जी ने बैठ के खाई,
कुछ दिन तो चली ये कढ़ाई,
फिर खटपट की बारी आई,

जब खटपट की बारी आई,
बीवी ने मियां को फटकार लगाई,
अंश मर्द की मियां जी में जग आई
फिर क्या था...
मियां जी ने कर दी बीवी की पिटाई
जब बीवी ने खाई पिटाई,
थाने में जा रपट लिखाई
थाने में हुई बीवी की सुनवाई
दरोगा जी ने ने संदेशा पठवाई
मियां जी की बारी थी आई

मियां जी की बारी थी आई
दुखी हो दरोगा जी से गुहार लगाई,
मालिक 21 वीं सदी है आई,
मर्द पीछे औरत है आगे आई
योग्यता नहीं, आरक्षण नीति है छाई,

फिर भी चारों तरफ बराबरी की है लड़ाई
नेताओं ने दी है समता की दुहाई
समाज में आपसी द्वेष मंशा है छाई
आगे है समाज में विघटन की खाई
और बढ़ती जा रही है नेताओं की ऊंचाई,

आखिर अब भी कौन पिछड़ा है भाई,
हां ये सारे नेता ही सबसे पिछड़े है,
यहां सत्ता पाने की है लड़ाई,
वर्षों से की हर हथकंडे की जुताई,
हाय री सत्ता, फिर भी हाथ न आई,
इसलिये तो भाई ये है समता की लड़ाई,

मियां जी ने जब ये बात सुनाई,
दरोगा जी को बात समझ में आई,
बोले,इस मनुष्य ने दोहरी मार है खाई,
कभी आरक्षण तो कभी औरत है समाई,

वर्दी की शान रखनी है भाई,
तो दरोगा जी ने फटकार लगाई,
कहा,तेरी यही सजा है भाई,
अपने जीवन का तू है उत्तरदायी,
इस कटुता के साथ जीवन दे बिताई,
यही है, यही है इस जीवन और इस जग की सच्चाई।
-राजीव मिश्र

No comments: