Tuesday, December 21, 2010

कहीं इतिहास बनाकर दागदार न हो जाएं मनमोहन


देश में बेदाग छवि वाले प्रधानमंत्रियों में सबसे ऊपर अगर कोई है तो वह हैं वर्त्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। राजनीति के दंगल में 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले पर कुछ इस तरह फंस गए हैं कि भ्रष्टाचार की छींट उनके गैर-राजनैतिक और राजनीति उजले चरित्र पर बदनुमा दाग न बन जाए। संसद शीतकालीन सत्र में एक दिन भी कार्यवाही नहीं इसका भी कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं। आखिर सरदार मनमोहन सिंह इतना डर क्यों रहे हैं। निजी जीवन में सादगी पसंद सरदार मनमोहन को आखिर राजनीति ने देश में जिस शिखऱ पर बिठाया वहीं से सीधा धड़ाम नीचे फर्श पर पटकने की तैयारी पर कर ली है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की राजनीति में गठबंधन का धर्म नाम के शब्द का प्रयोग किया। और इसी धर्म ने राजग में भारतीय जनता पार्टी को दागदार बना दिया और उसे अपनी जड़ों से अलग कर दिया तो आज यही गठबंधन धर्म सरदार मनमोहन सिंह के लिए जी का जंजाल बन गया है। 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले पर जो पीएमओ का रुख था वह अब किसी से छुपा नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस तरह राजा को 2जी पर मनमानी की छूट दी इसके पीछे के कारणों को सब जानते हैं। किंतु आज जब देश संसद के न चलने से हुए करीब200 करोड़ रुपये घाटे पर भी उनसे जवाब की उम्मीद कर रहा है तब वह एकजुट विपक्ष की जांच के लिए जेपीसी की मांग से दूर भागते नज़र आ रहे हैं।
आखिर इस जेपीसी ने देश को दिया क्या है। यह जेपीसी क्या है। आजाद भारत में कुल चार बार जेपीसी का गठन किया जा चुका है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन चारों ही जेपीसी का गठन देश के साथ धोखा ही कहा जाएगी। किसी एक भी जेपीसी की रिपोर्ट को न तो पूरी तरह से स्वीकारा गया और न ही किसी को लागू किया गया। जब कभी ऐसा हुआ नहीं और नहीं देश की राजनीतिक पार्टियों के भीतर इतना माद्दा दिखता है कि भविष्य में देशहित में किसी जेपीसी की रिपोर्ट को पूरी तरह लागू कर सके।

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