Tuesday, March 24, 2020

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक कदम जो भस्मासुर साबित हो रहा है

आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,

आपने देश को कई बार संबोधित किया है. हर बार मैंने और तमाम जनता ने, विरोधियों को छोड़ दीजिए, ने आपका साथ दिया और समर्थन किया. आज भी हम आपके साथ हैं. 2014 में चुनाव के वक्त आपकी मेहनत हमेशा देश के तमाम लोगों के लिए प्रेरणादायी बन गई और ऐसे मापदंड खड़ा कर गई, कि बाकी सभी नेता ऐसा करने की सोच भी नहीं पाते हैं. आपने देश को बहुत कुछ दिया है. आपके कार्यकाल में हमें सुरक्षा और समृद्धि दोनों का ऐहसास हुआ. आप जब भी टीवी पर आए तब भी लोगों ने आपकी बात को सर आंख पर बिठाया.

मंगलवार की रात 8 बजे आप एक बार फिर टीवी पर आए और देश के करोड़ों लोगों को आपसे उम्मीद बंधी कि आप कुछ अच्छा समाचार देंगे, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया. पिछले 20 दिनों में आपने लगातार लोगों को डराया और बताया कि लोग घरों में रहें. करीब तीन दिन हो चुके जब आपने लोगों को घर में रहने के लिए कहा और कुछ लोग और इलाकों को छोड़कर बाकी सब लोगों ने आपकी बात को माना भी.

लेकिन इस बार आपको जितना लाचार देखा, महसूस किया उतना कभी नहीं उम्मीद की थी. आपने कई बार कहा था कि आपसे अब देश को उम्मीद है, 2019 का चुनाव भी आपने इसी उम्मीद पर ही जीता था. आप इस बात को समझते भी हैं. लेकिन आपने इस बार उम्मीद पर पानी फेर दिया. देश की अर्थ व्यवस्था बरबाद न हो देश फिर 20 साल पीछे न चला जाए और यह सब आपके माथे न आ जाए आपने देश के को लॉकडॉउन करने का आदेश जारी कर दिया. ठीक भी है, अब इसके अलावा आपके पास और बस में कुछ नहीं बचा था.

ऐसा मैं इस लिए कह रहा हूं क्योंकि यह कोरोना की मुसीबत को भयावह करने का काम भी आपने किया है. आपने विदेशों में अपनी मर्जी से गए लोगों को वापस यहां लाने में जो मशक्कत की वह आपने उनकी निगरानी में नहीं की. मान भी लिया कि यह लोग विदेश में फंसे हुए थे. इन्हें अच्छे इलाज वाले देश से भारत लाने की क्या जरूरत थी. अगर वहीं इलाज नहीं हो रहा था तब उन्हें भारत लाया जाना था.

आप इन लोगों को भारत लाए तब यह आपकी ही जिम्मेदारी थी कि इन हजारों लोगों को एक ऐसी जगह पर महीनेभर रखा जाता जहां पर इनका इलाज किया जाता लेकिन सबका तापमान नापकर इन्हें घर जाने दिया गया. अब ये लोग देश के बाकी लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं. और इन्हें स्वदेश लाकर आपका यह कदम भस्मासुर की भांति लगने लगा है.

समय रहते यह सब सोचा जाना चाहिए था. हमने चीन से यह सबक सीख लेना चाहिए था. लेकिन यह हुआ नहीं. वैसे ही, भारत को चीन में अपनी टीम समय रहते ही भेजनी चाहिए थी और इलाज से लेकर रोकथाम के तरीकों पर काम करना चाहिए था.

एक और गलती जो मुझे महसूस होती है आपने चीन की समस्या के दौरान ही भारतीय वैज्ञानिकों को इलाज के लिए बेहतरीके और दवाइयों पर काम करने के लिए प्रेरित नहीं किया. समय रहते यह काम किया जाता तो संभव है हम आज इतने घबराए प्रधानमंत्री को टीवी पर नहीं देखते.

आपका और देश का शुभचिंतक,
राजीव

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