Tuesday, January 25, 2022

कांग्रेस का एक और वटवृक्ष गिरा, आरपीएन सिंह बीजेपी में गए

बस एक शब्द ने बता दिया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह किस ओर रुख कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह ने आज कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और साथ ही यह भी साफ कर दिया कि भविष्य की राहें किस ओर रहेंगी. राज्य की राजनीति के गणित को समझते हुए आरपीएन का यह कदम कांग्रेस पार्टी की नींव को कमजोर ही करती जान पड़ रही है. आरपीएन सिंह कुशीनगर के शाही सैंथवार परिवार से ताल्लुख रखते हैं. उनके पिता सीपीएन सिंह कांग्रेस के वफादार नेता थे. आरपीएन सिंह 2009 में कुशीनगर से सांसद बने थे. 2014 और 2019 में वे लोकसभा चुनाव हार गए थे. देश की राजनीति में करीब 4 दशक से सक्रिय हैं. तीन बार विधायक और एक बार सांसद बने. यूपीए-2 में गृह राज्यमंत्री भी बने. इससे पहले यूपी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं.

आज अपने ट्वीट में आरपीएन सिंह ने कहा, आज, जब पूरा राष्ट्र गणतन्त्र दिवस का उत्सव मना रहा है, मैं अपने राजनैतिक जीवन में नया अध्याय आरंभ कर रहा हूं. जय हिंद.
जय हिंद लिखते ही यह साफ हो गया कि वे बीजेपी की ओर रुख कर रहे हैं. 
गौर करने की बात यह है कि कुछ दिन पूर्व ही एक प्रेसवार्ता में सीएम चेहरे के सवाल पर राज्य में पार्टी की प्रमुख और कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी का जवाब कहीं आरपीएन सिंह के बाहर होने की वजह तो नहीं बन गया. प्रियंका गांधी ने कहा था कि क्या राज्य में उनके अलावा कांग्रेस पार्टी से किसी का चेहरा दिखाई दे रहा है क्या. यानी वे यह साफ कर रही थीं कि राज्य में अब कांग्रेस पार्टी का एक ही चेहरा है और वह है प्रियंका गांधी. 

सीएम पद के लिए पार्टी की ओर से चेहरा हो या फिर कांग्रेस पार्टी का चेहरा. जहां पर पार्टी की ओर से गांधी परिवार के किसी का चेहरा सामने आया है वहां पर पार्टी में फिर किसी और की हैसियत हमेशा के लिए दोयम दर्जे की हो गई है. यह कांग्रेस पार्टी का इतिहास ही रहा है कि गांधी परिवार का जब भी चेहरा सामने आया फिर चाहे कोई कितना भी वरिष्ठ नेता रहे या फिर कितने सालों से पार्टी की वफादारी से सेवा करता आ रहा हो या फिर जनता के बीच वह कितना भी कद्दावर नेता रहा हो उसकी हैसियत दूसरे दर्जे के नेता की ही रह जाती है. 
संभव है कि आरपीएन सिंह भी अब यह समझ गए हों कि पार्टी में अब उनकी हैसियत कुछ खास नहीं रह गई और वे संभवत: इसी कारण से आगे बढ़ रहे हैं. 
बताया जा रहा है कि आरपीएन सिंह बीजेपी का दामन थामने जा रहे हैं. यूपी में आरपीएन सिंह के लिए बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में जाने का भी रास्ता था लेकिन वहां पर भी इनकी मूल समस्या बनी रहती. यही वजह है कि इनके पास केवल बीजेपी की ओर बढ़ने का ही विकल्प बना.

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य में योगी सरकार की मजबूत उपस्थिति और बीजेपी की बढ़ती साख के साथ ही नेताओं के लिए बीजेपी एक बढ़िया विकल्प के रूप में सामने आई है. केंद्र में राजनीति करने के इच्छुक लोगों के लिए क्षेत्रीय दलों से ऊपर उठकर बीजेपी में शामिल होने का विकल्प ही अब एक मात्र रास्ता दिखाई दे रहा है. पहले यह स्थान कांग्रेस पार्टी का हुआ करता था लेकिन पार्टी पिछले कुछ चुनावों लगातार अपनी पकड़ खोती जा रहा है और यही कारण है कि बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विकल्प के रूप में देश के तमाम राजनीतिज्ञों की पहली पसंद बनती जा रही है.

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