20 महीने पहले अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हुई और आज अमेरिका की जनता ने एक ऐतिहासिक निर्णय देकर बता दिया कि वह दुनिया की सर्वोच्च ताकत क्यों है... दो दशक पहले तक अमेरिका में रंगभेद करोड़ों अश्वेतों के लिए परेशानियों का सबब था, परंतु आज अमेरिकी जनता ने इन सबको को झुठलाते हुए 219 साल के अमेरिकी लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार एक अश्वेत और अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के नागरिक बराक हुसैन ओबामा के हाथों में देश की कमान सौंप दी।कुल 538 इलेक्टोरल वोटों में से 349 वोट हासिल कर ओबामा ने एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। यह जीत एक आदमी की नहीं, बल्कि समाज के हर तबके की उम्मीद की जीत है। ओबामा ने चुनावी नारा दिया, 'चेंज़, वी कैन।' ओबामा के चुनाव में कई ऐसे मुद्दे उठे जो शायद किसी अन्य लोकतांत्रिक देश की राजनीति पर असर ही नहीं डालते, बल्कि उम्मीदवारी भी तय कर देते हैं।कम से कम भारत के मामले में तो यह बात सौ फीसदी लागू होती है। 2004 के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद कुछ इसी तरह का माहौल भारत में भी बना था, जब इटली मूल की भारतीय नागरिक सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद पर बैठने की बात आई थी। लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों में यह एक ऐसा मुद्दा बन गया कि आखिरकार सोनिया ने बड़ी विनम्रता से प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया।लेकिन आज बराक हुसैन ओबामा ने अमेरिका जनता के सहयोग से यह साबित कर दिया है कि अमेरिका में लोकतंत्र का स्वरूप कितना उद्दात है। इसी बात को ओबामा ने अपने धन्यवाद भाषण में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ' किसी को भी यह संदेह नहीं होना चाहिए कि अमेरिका में सब कुछ मुमकिन है।'ओबामा के लिए चुनाव प्रचार अभियान में उनका नाम भी कभी विरोधियों के लिए चुनावी मुद्दा बना था। बराक के साथ हुसैन शब्द का जुड़ना विरोधियों को विश्व में व्याप्त इस्लामिक आतंकवाद के करीब ले गया। विरोधियों ने अमेरिकी जनता को इस बात का भी वास्ता दिया कि ओबामा की जीत के साथ अमेरिका इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ कड़ाई से कदम नहीं उठा पाएगा। ओबामा का अफ्रीकी मूल का होना और उस पर भी अश्वेत होना उनके विरोधियों के लिए एक मुद्दा रहा।इतना ही नहीं ओबामा के विरोध में विपक्षियों ने यह भी कह डाला था कि ओबामा का राष्ट्रप्रेम दिखावा है। इस बात को साबित करने के लिए ओबामा का एक वीडियोक्लिप में कई स्थानों पर दिखा कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की गई। लेकिन बेहद समझदार अमेरिकी जनता ने इन हल्की-फुल्की बातों को दरकिनार करते हुए ओबामा को एक सहज और स्वाभाविक जीत दिलाई। यही बात उस देश को खास बनाती है, जहां की जनता राष्ट्रीय हितों को सबसे अधिक तरजीह देती है।अमेरिकी चुनावों के संदर्भ में एक बात और गौर करने लायक है कि वहां भले ही मुकाबला दो विरोधी पार्टियों-डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन के बीच हुआ, लेकिन प्रचार अभियान के दौरान लोगों के हाथ में हमेशा राष्ट्रध्वज ही नजर आया।अपने यहां विकास और देश को वैश्विक पटल पर सबसे आगे देखने की बात करने वाले नेताओं को इस बात से सीख लेनी चाहिए और भारतीय लोकतंत्र की मज़बूती और देश तथा समाज की एकता लिए ओछी राजनीति से ऊपर उठकर देशहित की राजनीति करनी चाहिए।ओबामा ने चुनाव से पहले 'चेंज़, वी कैन' का नारा दिया था और जीत के बाद अपनी बात का अंत भी 'चेंज़' शब्द के साथ ही किया। ओबामा ने कई सवालों के जवाब में यही कहा 'यस, वी कैन!'। काश, भारतीय लोकतंत्र के हमारे पहरुये भी आगे बढ़कर बोलते 'यस वी कैन'...
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