Monday, September 20, 2010

कारे बदरा आयो रे, झमाझम वर्षा लायो रे

कारे बदरा आयो रे,
झमाझम वर्षा लायो रे
सूखी धरती, सूखी यमुना
लहर-लहर कर गयो रे
धन्य हुई है धरती रे
धन्य हुआ धरतीपुत्र रे
पानी का रोना न होगा
न होगी लड़ाई, न बहेगा खून,
धरती देगी सोना,
सबको का हक, हद का ज्ञान लायो रे
कारे बदरा आयो रे,
झमाझम वर्षा लायो रे
न होगा अतिक्रमण, राष्ट्रमंडल हो, या नदी,
नालों तक में घुसे मानुष
सबकी पोल खोल गयो रे,
वाह रे,
कारे बदरा न्यारे बदरा रे
झम झम वर्षा लायो रे
थक गए थे मूक मानव, न उठी कभी निगाह,
न निकली कभी आवाज रे,
वाह रे बदरा, कारे बदरा,
खूब उजला काम कियो रे
दूध का दूध पानी का पानी,
सबकी आखिन दिखलायो रे
वाह रे, कारे बदरा न्यारे बदरा रे
झम झम वर्षा लायो रे

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