Saturday, April 25, 2015

सिर्फ एक नेता के कल्ट के चारों ओर घूमेगी केजरीवाल पार्टी ... यानि लोकतंत्र हे राम!!!

                                                                                                                                                           






 आम आदमी पार्टी ने अपने संस्थापक सदस्यों सहित चार बड़े नेताओं को जब पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया तब भी ऐसा नहीं लगा कि पार्टी एक नेता की पार्टी हो गई है... आलोचक, समालोचक हों या फिर राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी सभी यह कह रहे थे कि पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल अब पार्टी में सर्वोपरि हो गए हैं। तमाम तरह के कार्टून से लेकर पोस्टरों तक में केजरीवाल को हिटलर के रूप में दिखाई देने लगे। जब से पार्टी बनी है, यानि एक आंदोलन ने जब से राजनीतिक चादर ओढ़ी है पार्टी के तमाम फैसले सार्वजनिक होने से पहले और यहां तक की सार्वजनिक होने के बाद केजरीवाल अपनी एक अन्य सोच, विचार, समझ और मानवता, इंसानियत की पहचान बनाने की कोशिश में दिखाई दे रहे हैं।

पार्टी के नेता केजरीवाल को ही सबकुछ मान रहे हैं। आम आदमी की पार्टी जैसे जैसे खास बनती जा रही है वैसे-वैसे पार्टी को अपने लिए किसी एक और सिर्फ एक महान नेता ओढनी की दरकार बढ़ती जा रही है। जहां पार्टी को एक आदमी के राजनीतिक कदम से हिम्मत, हौसला और मार्गदर्शन मिल रहा है, धीरे धीरे बाकी नेता और उनकी सहभागिता पार्टी की अंदरूनी मीटिंग तक सीमित होती जा रही है।  अब ऐसा लगने लगा है कि बाकी पार्टी के नेता अपनी कोई बात कहते हैं, कोई कदम उठाते हैं वह उनके निजी कदम, निजी विचार और सबके निजी निजी हो गया है। केजरीवाल अगले दिन कुछ और बयान देते हैं, जनता से माफी मांगते हैं और एक ऐसी बात कहते हैं कि लगने लगता है कि पार्टी को इसी ऑक्सीजन की जरूरत थी, नहीं तो पार्टी अब दिशाहीन हो गई है। पार्टी के पास जैसे अब कोई रास्ता नहीं था, पार्टी दिगभ्रमित हो गई थी और केजरीवाल जी कहीं से अवतरित हो गए और उन्होंने जो कह दिया अब वह ब्रह्म वाक्य हो गया और पार्टी नेता, कार्यकर्ता से लेकर मीडिया भी बाकी पार्टी नेताओं की बयानबाजी को भूलकर, उसे एक भूल, पार्टी की विचारधारा से अलग, मान लेते हैं, जैसे जो केजरीवाल जी ने कह दिया वह सब सही है।

अकसर ऐसा ही होता है कि केजरीवाल जी को सपने अच्छे आते हैं और उन्हें सपनों में उनकी आत्मा आकर उठाती है, फिर उन्हें नींद नहीं आती और उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हो जाता है जिसे वह अगले दिन मीडिया के जरिये पार्टी नेता, कार्यकर्ता और भक्तजनों के लिए पहुंचा देते हैं। उन्हें यह ज्ञान वास्तविक जीवन में प्राप्त नहीं होता, बस एक रात का इंतजार रहता है और अगले दिन वह उन सभी विचार, बयानों को धता बताकर अपनी एक नई लाइन पकड़ लेते हैं और माफी मांगकर महान बन जाते हैं...

उनके महान बनने की चाह हो भी सकती है और नहीं भी... आखिर वे भी एक आम आदमी हैं, समय समय पर जरूरत के हिसाब से बयान बाजी करते हैं या हो सकता है एक शातिर दिमाग भी हो, जो यह कहता है कि भाई गलती हो गई है... जनता सब देख रही है... अच्छा तो यह होगा कि माफी मांग लिया जाए और अपनी बेचारगी बताकर सहानुभूति प्राप्त कर ली जाए... लोगों को बताया जाए कि मेरी अंतरात्मा अभी जिंदा है... मैं और नेताओं और अन्य आम आदमी की तरह नहीं हूं कि गलती करूं और माफी भी न मांगूं... केजरीवाल जी, अब आप मुख्यमंत्री हैं... आम कहां है... आम आदमी आपकी जगह होता तो अब तक उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट चुका होता...

सत्ता में पहुंचने से पहले केजरीवाल अपनी या अपने किसी साथी की आलोचना या खिलाफ में लगे किसी आरोप पर हमेशा यही कहते रहे कि जांच और फिर गलती साबित हो तो हमें फांसी पर चढ़ा दो या कहते कि सजा दे दो... लेकिन मुख्यमंत्री बनने का असर देखिए, केजरीवाल साहब ने किसान गजेंद्र सिंह की आत्महत्या के हादसे के लिए सीधे दिल्ली पुलिस और केंद्र को जिम्मेदार ठहरा दिया।

मौके पर दिया गया उनका बयान उनकी वास्तविक सोच को ही दर्शाता है और मैं समझता हूं कि बाद में दिया गया बयान कल्ट केजरीवाल का बयान है.... जो वह खुद बनना चाहते हैं या फिर पार्टी बनाना चाहती है... हां... यह तय है पार्टी के राजनीतिक विचारक इतिहास से सबक लेकर यही सीख पाए हैं कि एक खास व्यक्ति की आड़ में ताउम्र राजनीति की जा सकती है... और लोग एक आदमी के सहारे पार्टी की विचारधारा को मानते रहते हैं...

तो क्या अब राजनीति में आम आदमी पार्टी भी अपने एक और सिर्फ एक नेता के कल्ट के चारों ओर घूमेगी... यानि लोकतंत्र हे राम!!!

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