Thursday, February 18, 2016

क्या भारत से डर गया है हाफिज सईद, करने लगा है शांति की बात, हिन्दी में ट्वीट?


संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका तथा भारत जिस जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद को आतंकवादी मानता है और प्रतिबंध की बात करता है वह हाफिज सईद खुद को शांति का सबसे बड़ा दूत बता रहा है। क्या भारत के प्रयासों से अब हाफिज सईद डर गया है। भारत की एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू के हाफिज सईद ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है जिसमें ऐसा दावा किया है।

भारत के अभिन्न अंग कश्मीर पर हाफिज सईद हमेशा से विरोधी स्वरों में दिखा है और कश्मीर को भारत से अलग करने के हर हथकंडे अपनाता रहा है। जेएनयू विवाद पर सबसे पहले उसने ट्वीट कर यही कहा कि हिन्दूस्तान अपने जुल्म बंद करे और कश्मीर से बाहर हो जाए। वो कहता है कि हकीकत को छिपाया नहीं जा सकता। नजरिया पाकिस्तान कश्मीर समेत पूरे भारत में सुनाई दे रहा है।

भारत सरकार की ओर से अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को नकारते हुए हाफिज सईद ने कहा कि कश्मीरी नौजवान किसी के कहने पर नहीं अपने अधिकार 'आजादी' के लिए और उन पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि हाफिज सईद ने ट्वीट कर जेएनयू में हुए विवाद का समर्थन किया है।

भारतीय गुप्तचर एजेंसियों का दावा है कि देश में कई यूनिवर्सिटी में एक सर्वे कर हाफिज सईद सहित कुछ आतंकी संगठनों ने यह पता लगाया है कि कहां कहां ऐसी आग फैलाई जा सकती है। सुरक्षा एजेंसियां कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन को इसका उदाहरण मान रही हैं।

भारत में तमाम जगहों पर हुई आतंकी गतिविधियों के लिए भारतीय जांच एजेंसियों ने हमेशा से हाफिज सईद को दोषी ठहराया है और उसे प्रमुख आतंकी बताती हैं। यहां तक कि 26/11 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड तक हाफिज सईद को बताया गया है। भारत द्वारा दिए गए तमाम सबूतों के आधार पर अंतरराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्र ने भी उसे आतंकियों की श्रेणी में रखा है। अमेरिका भी पाकिस्तान पर हाफिज पर कार्रवाई के लिए दबाव बना चुका है।

लेकिन हाफिज ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है। वह कहता रहा है कि पाकिस्तानी कोर्ट में उसके खिलाफ कभी भी कोई केस साबित नहीं हुआ है और वह निर्दोष है। हाफिज ने कभी भी भारतीय न्यायपालिका पर भरोसा नहीं किया। वह तर्क देता है कि खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहने वाला देश भारत जब दूसरे देश की सर्वोच्च न्यायपालिका के निर्णय पर यकीन नहीं करता तो उसकी बात पर यकीन क्यों किया जाए।

हाफिज सईद यह भूल गया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां की न्यायालिका भी उतनी स्वतंत्र है कि सरकार को हाजिर होने का आदेश दे देती। सरकार के फैसले को अवैध करार दे देती है। क्या पाकिस्तान में यह संभव है। अभी तक तो कोई उदाहरण नहीं दिखा ऐसा।

भारत में बोलने की आजादी इतनी है कि यहां के नागरिक कई बार सीमाओं को लांघ कर बात कर जाते हैं। यह भी लोकतंत्र की वजह से है। कोई हाफिज सईद से ये क्यों पूछता कि क्या यह पाकिस्तान में संभव है?

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