Wednesday, January 18, 2017

क्या चुनाव आयोग बहरा है? क्या सुप्रीम कोर्ट के धर्म के आधार पर वोट के ध्रुवीकरण के खिलाफ आदेश के दायरे में मीडिया आता है?

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो और मुस्लिम मतदाता की बात न हो ऐसा हो नहीं सकता. भले ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ चुका हो कि चुनाव पूरी से तरह से धर्म से अप्रभावित होना चाहिए. चुनाव आयोग नेताओं पर प्रतिबंध लगा रहा है. नोटिस जारी कर रहा है,  अलग-अलग दल के नेता अपनी अपनी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. चुनाव आयोग के पास शिकायतों को ढेर लगता जा रहा है. सभी शिकायतों चुनाव आयोग सुनवाई भी कर रहा है.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अछूते अखबार और टीवी चैनल धड़ल्ले से मुसलमान वोटर और जातिवार वोटरों पर खबरें छाप रहे हैं और बहस कर रहे हैं. चुनाव आयोग क्या इन अखबारों और टीवी चैनलों पर भी कोई अंकुश लगाएगा और मतों पर धर्म के आधार हो रहे इस विभाजन से जुड़ी बहस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दायरे में मानेगा... या किसी के इस ओर ध्यान दिलाने के बाद ही उनके कानों तक यह बात पहुंचेगी.

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का अखिलेश यादव पर मुस्लिम विरोधी होने का बयान और फिर अखिलेश यादव का मुसलमानों के लिए किए गए कामों का उल्लेख करना क्या इस दायरे में आता है. क्या यह धर्म के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण के दायरे में आता है. मुलायम ने धर्म विशेष के लोगों के विरोध में अखिलेश के कदम गिनाए तो अखिलेश यादव ने धर्म विशेष के लिए खासतौर पर उठाए गए कदमों को गिनाया. मतदान से ठीक पहले इस प्रकार के बयान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दायरे में आते हैं या नहीं... यह तो कोई कानूनी जानकार बताएगा.  वहीं, ऐसा लगता है चुनाव आयोग शिकायत का इंतजार कर रहा होगा क्योंकि अधिकारियों को स्वत: संज्ञान लेने की छूट नहीं होगी... यह विवेक पर आधारित निर्णय है और विवेक की परिभाषा अभी तक किसी ने नहीं दी है. बीजेपी नेता संगीत सोम के एक वीडियो को दिखा रहे प्रचार वाहन को पुलिस ने  जब्त कर मुकदमा कायम किया है. 

मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी विधायक संगीत सोम के खिलाफ मेरठ में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और नफरत फैलाने के इल्ज़ाम में केस दर्ज हुआ है. सोम मेरठ की सरधना सीट से बीजेपी उम्मीदवार हैं. उन पर आरोप है कि वह चुनाव प्रचार के दौरान अपनी एक ऐसी वीडियो फिल्म दिखा रहे थे जिसमें मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उनकी गिरफ्तारी के शॉट्स, दंगों के इल्जाम में उनपर लगे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) हटाने के लिए हुई महापंचायत के शॉट्स और दादरी में अखलाक की हत्या के बाद दिया गया भाषण दिखाया जा रहा था.

इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के एसएसपी जे. रवींद्र गौड़ के मुताबिक विधायक संगीत सोम के खिलाफ 125 आरपी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने के साथ ही संबंधित प्रचार वाहन को भी जब्त कर लिया गया है. इससे पहले पुलिस ने वीडियो सीडी की कॉपी कब्जे में लेकर गाड़ी के ड्राइवर समेत दो लोगों के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया था.

जब एक पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं पर चुनाव आयोग और उत्तर प्रदेश पुलिस केस दर्ज कर सकती है तो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पर चुनाव आयोग जल्द कोई कार्रवाई करता है या नहीं यह देखना होगा. वैसे मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी और उनकी टीम ने जिस प्रकार समाजवादी पार्टी के विवाद में जल्द निर्णय लिया उस प्रकार अन्य मामलों में भी जल्द निर्णय लिया जाता तो शायद देश में लोकतंत्र को सही मायने में लागू किया जा सकता था. इतना ही चुनाव आयोग लोकतंत्र में अपनी सार्थकता को भी साबित कर पाता....

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